पंचायत सहायक: गाँव का अफसर, जेब का फकीर… एक अधूरी सच्चाई

लेखक की कलम से यह उपन्यास मेरे उन जज़्बातों की अभिव्यक्ति है जो मैंने गाँव-गाँव घूमते हुए, पंचायत भवनों की खामोश दीवारों से महसूस किए। यह कहानी सिर्फ पंचायत सहायक – विवेक की ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के उन हज़ारों युवा पंचायत सहायकों की है जो सरकारी मुहर लेकर भी अपने भविष्य को लेकर …

यह प्यार… कुछ और ही है

लेखक की कलम से मैं सतेन्द्र, अपने पहले उपन्यास “यह प्यार कुछ और ही है” को आपके हाथों में सौंपते हुए अत्यंत गर्व महसूस कर रहा हूँ। यह केवल राहुल और अंजलि की प्रेम कहानी नहीं, बल्कि मेरी दो वर्षों की मेहनत, अनुभवों और भावनाओं से बुनी आत्मिक यात्रा है। इस रचना ने मुझे न …