Satendra

सतेन्द्र: कहानीकार एवं उपन्यासकार

Satendra

सतेन्द्र एक युवा कहानीकार और उपन्यासकार हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण परिवेश से निकलकर अपनी लेखनी के दम पर साहित्य जगत में एक विशिष्ट स्थान बनाया है। ग्राम सिमरिया, दातागंज से उपजे सतेन्द्र ने कम उम्र में ही अपने पहले उपन्यास “पंचायत सहायक – गाँव का अफ़सर, जेब का फ़कीर” के ज़रिए पंचायत सहायक के जीवन की सच्चाइयों को उजागर कर खूब प्रशंसा बटोरी। यह कृति न केवल एक किताब है, बल्कि ग्रामीण भारत के प्रशासनिक तंत्र, गरीबी, और आम आदमी के संघर्षों का जीवंत दस्तावेज़ है।

पंचायती राज विभाग, उत्तर प्रदेश में पंचायत सहायक के रूप में कार्य करते हुए सतेन्द्र ने अपनी लेखन यात्रा शुरू की। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज की अनकही व्यथाओं, व्यवस्था की खामियों, और ग्रामीण जीवन की जटिलताओं को संवेदनशीलता और सटीकता के साथ प्रस्तुत करते हैं। उनकी लेखनी केवल साहित्य तक सीमित नहीं है; यह एक आंदोलन है, जो युवा भारत की आकांक्षाओं, संघर्षों और सपनों को शब्दों में पिरोता है।

सतेन्द्र की रचनाएँ पाठकों को न केवल पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं, बल्कि समाज के प्रति गहरी सोच और संवेदना को भी जागृत करती हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास—जिनमें व्यंग्य, सच्चाई और मानवीय संवेदनाएँ गूंथी हुई हैं—न केवल पढ़े जाते हैं, बल्कि गहराई से महसूस किए जाते हैं।

सतेन्द्र की लेखनी का उद्देश्य स्पष्ट है: समाज सेवा, ग्रामीण जीवन की चुनौतियों को उजागर करना, और व्यवस्था को आईना दिखाना। वे एक ऐसे लेखक हैं, जो अपनी कलम से न केवल कहानियाँ कहते हैं, बल्कि समाज को बदलने का संकल्प भी जगाते हैं।

संपर्क करें और सतेन्द्र की रचनाओं के माध्यम से ग्रामीण भारत की अनकही कहानियों को जानें। उनकी लेखनी में छिपा है वह सशक्त स्वर, जो हर अनसुनी आवाज़ को बुलंद करता है।

आशीर्वचन

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