Satendra

सतेन्द्र: कहानीकार एवं उपन्यासकार

Satendra

पुस्तकें: कविताएँ जिन्दा रहेंगीं, पंचायत सहायक: गाँव का अफ़सर, जेब का फ़कीर, कहानी संगम

लेखक सतेन्द्र की प्रथम काव्य-पुस्तक ‘कविताएँ ज़िंदा रहेंगी’ मानव जीवन की उलझनों, संवेदनाओं और अनकही पीड़ाओं को अत्यंत सजीव, आत्मीय और गहन काव्यात्मक शैली में व्यक्त करती है। उनकी कविताएँ पाठकों को न केवल छूती हैं, बल्कि उनके भीतर छिपी भावनाओं को जगाकर जीवन से गहरे स्तर पर जोड़ देती हैं। इस संग्रह की चर्चित कविताएँ— ‘तू पास नहीं फिर भी मेरी है’, ‘सपनों की हत्या’, ‘मैं पंचायत सहायक हूँ’, और ‘नेता बदलते रहते हैं बस’— अपनी मौलिकता, सामाजिक चेतना और हृदयस्पर्शी भावों के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुईं। इन्हीं प्रभावशाली रचनाओं के लिए सतेन्द्र को ‘कलम रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया गया, जो उनकी सशक्त और संवेदनाशील लेखनी का प्रमाण है। ‘कविताएँ ज़िंदा रहेंगी’ सिर्फ एक पुस्तक नहीं, बल्कि भावनाओं, संघर्षों, प्रेम, पीड़ा और जीवन के सत्य का काव्यात्मक दस्तावेज़ है— एक ऐसी रचना, जिसमें शब्द नहीं, ज़िंदगी बोलती है।

सतेन्द्र युवा उपन्यासकार भी हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही अपने पहले उपन्यास “पंचायत सहायक: गाँव का अफ़सर, जेब का फ़कीर” के ज़रिए पंचायत सहायकों के जीवन की सच्चाइयों को उजागर कर खूब प्रशंसा बटोरी। जिसके लिए उन्हें “उपन्यास भूषण श्री” सम्मान से भी सम्मानित किया गया। यह कृति न केवल एक किताब है, बल्कि ग्रामीण भारत के प्रशासनिक तंत्र, गरीबी, और आम कर्मचारी के संघर्षों का जीवंत दस्तावेज़ है। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज की अनकही व्यथाओं, व्यवस्था की खामियों, और ग्रामीण जीवन की जटिलताओं को संवेदनशीलता और सटीकता के साथ प्रस्तुत करते हैं। उनकी लेखनी केवल साहित्य तक सीमित नहीं है बल्कि एक आंदोलन है, जो युवा भारत की आकांक्षाओं, संघर्षों और सपनों को शब्दों में पिरोता है।

सतेन्द्र ने अपनी कलम से खुद को एक कहानीकार के रूप भी बखूबी निखारा हैं पुस्तक “कहानी संगम” की कहानी ‘यह प्यार! कुछ और ही है!’ जीवन के संघर्षों, रहस्यों, कठिनाइयों और प्रेम की गहराइयों को आत्मीय स्तर तक उजागर करती है। यह रचना बताती है कि सच्चा प्यार वास्तव में कैसा होता है और किस तरह कठिन परिस्थितियों में भी अपना अर्थ खोज लेता है।

सतेन्द्र ने बच्चों के लिए कई शिक्षाप्रद बाल-कथाएँ भी लिखी हैं, जिनमें दया, अनुशासन, ईमानदारी और अच्छे संस्कारों को सरल और रोचक तरीके से बताया गया है। उनकी बाल-कथाएँ बच्चों में बेहद लोकप्रिय हैं और साहित्य के इस क्षेत्र में उनका योगदान सराहनीय है।

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